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कविता

उत्तर

शमशेर बहादुर सिंह


बहुत अधिक, बहुत अधिक तुम्‍हें याद करता मैं रहा;
यह भी था कारण जो पत्र मैं लिख नहीं सका;
लिख नहीं सका, बस।
भावों का भार उन शब्‍दों से उठ नहीं सका,
लिखे-पढ़े जाते जो पत्रों में।
अन्‍य रूप शब्‍दों को देने का कौन अधिकार

आपके मेरे संबंध ने कभी मुझे दिया?
अतः विवश रहा, विवश रहा।
पढ़ लेते आप? यदि लिखता मैं
बार-बार-बार-बार - केवल वह एक नाम,
एक नाम, एक नाम ...
आह !

(1941)
 

 


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